Saturday, May 18, 2019

जरा ठहर मेरे मंजिल....

जरा ठहर मेरे मंजिल मैं तुझे पा लूंगी,
अपनी कीमत इस दुनिया को मैं बता दूंगी,
की लड़ जाऊंगी अपनी खराब किस्मत से,
की अपनी मेहनत पे भरोसा तुझे दिला दूंगी,
राहो में दुख ही दुख है तो क्या हुआ,
अपने मंजिलों पे जाकर मैं तुझे दिखा दूंगी....
ऐ मेरे मन तू कब तक रोयेगा मैं तुझे हँसा दूंगी,
ऐ दुनिया जो तू नाकारा मुझे कहा करती है,
जरा रुक मैं अपनी असली कीमत तुझे बता दूंगी,
हौसला मेरे मन में है की मैं अपने मंजिलो को पा लुंगी...

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