सो गया है बचपन पत्थरों में सिमट कर,
अब तो रातों में भी पत्थरों की आवाजें सुनाई पड़ती है....
देखा था बच्चो को काम पर जाते हुए,
उनकी उम्र तो अभी खेल कूद की जनाई पड़ती है,
इस दुनिया में भी लोग दुहरा रंग रखते हैं,
यूँ तो कहते हैं हमारा देश प्यारा है बड़ा,
लेकिन उसी देश के भविष्य को खराब करने की सोच रखते हैं....
जिन हाथो में कलम सोभा देती उन हाथो में छाले हैं,
खेल कूद की आसा भी दब के रह जाती है....
किसी ने सोचा नही जरा सी मदद कर दे,
काम पर जाते बच्चो की वो भी तो अच्छा जीवन जीने का पूरा हक रखते हैं....
अब तो रातों में भी पत्थरों की आवाजें सुनाई पड़ती है....
देखा था बच्चो को काम पर जाते हुए,
उनकी उम्र तो अभी खेल कूद की जनाई पड़ती है,
इस दुनिया में भी लोग दुहरा रंग रखते हैं,
यूँ तो कहते हैं हमारा देश प्यारा है बड़ा,
लेकिन उसी देश के भविष्य को खराब करने की सोच रखते हैं....
जिन हाथो में कलम सोभा देती उन हाथो में छाले हैं,
खेल कूद की आसा भी दब के रह जाती है....
किसी ने सोचा नही जरा सी मदद कर दे,
काम पर जाते बच्चो की वो भी तो अच्छा जीवन जीने का पूरा हक रखते हैं....
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