Saturday, April 27, 2019

हवाओं के संग....

चलो जरा मुस्कुराहट बिखेर आएं हवाओं के संग,
बिना रुके बिना झुके चलो जरा खुशियाँ बिखेर आएं हवाओं के संग..
चलो जरा दुःख को झुका कर आते हैं,
चलो आस लेके हवाओं के संग...
हजारों मुश्किलें होंगी हमारी राहों में,
फिर भी ना रुकेंगे चलते रहेंगे हवाओं के संग....
कुछ तो सीखो अपने प्रकृति से ,
चलो खुशियाँ देकर दुःख समेट लाएं, हवाओं के संग...
हवा से सीखेंगे बिना रुके चलना है,
किसी भी मुसीबत से हमे नहीं डरना है,
बराबरी की है हवाओं से, तो चलो कुछ अलग कर आएं हवाओं के संग ....
चलो खुशियाँ बिखेर आएं हवाओं के संग.....

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