क्या कभी मन नहीं करता की कुछ अलग कर जायें,
की उन गरीबों के पास जाकर दो रोटी उनको भी खिलायें,
ताकि उनके भूखे पेट को कुछ राहत मिल जाए....
सब कहते हैं की सोच तो अलग है मेरी,
लेकिन कोई ये नहीं कहता की चलो अपने देश की गरीबी को मिटायें....
चलो एक बार ठान के देखते हैं, की इन गरीबों की गरीबी से हम लड़ जायें,
सफल हुए तो सही है नहीं तो क्या गम है,
क्या पता अपने देश से कुछ गरीबी कम ही हो जाये....
नौकरी वाले तो बहुत बन जाते हैं,
की चलो हम उन गरीबों के लिए फरिश्ता बन जाएँ...
की चलो अपने देश से गरीबी हटाएँ....
की उन गरीबों के पास जाकर दो रोटी उनको भी खिलायें,
ताकि उनके भूखे पेट को कुछ राहत मिल जाए....
सब कहते हैं की सोच तो अलग है मेरी,
लेकिन कोई ये नहीं कहता की चलो अपने देश की गरीबी को मिटायें....
चलो एक बार ठान के देखते हैं, की इन गरीबों की गरीबी से हम लड़ जायें,
सफल हुए तो सही है नहीं तो क्या गम है,
क्या पता अपने देश से कुछ गरीबी कम ही हो जाये....
नौकरी वाले तो बहुत बन जाते हैं,
की चलो हम उन गरीबों के लिए फरिश्ता बन जाएँ...
की चलो अपने देश से गरीबी हटाएँ....