वो गरीब बच्चे......
देश की हालत पर रोना भी आता है,
सोच भी आती है, समझना भी आता है। लिखने वाले बहुत होंगे मगर,
अपने देश के बारे में समझना बहुत कम को आता है।
गरीबी है बदहाली है, निराशा ही निराशा है,
पर अपने देश की स्थिति को समझना किसे आता है।
भूखे पेट तड़पते हैं ,छोटे से बच्चे भी मरते हैं,
सोच कहाँ किसी की यहाँ, सबको पेट भर खाना ही आता है।
उम्र तो छोटी है ,अभी तो बच्ची हूँ ,
लिखने में कच्ची नहीं , क्योकि अपने देश को समझना तो आता है।
मन में निराशा है ,थोड़ी सी आशा है, ठहरने को मंजिल है, चलना भी आता है।
ठंडी भी पड़ती है , गर्मी भी पड़ती है,
हम भी खुश होते हैं, तुम भी खुश होते हो ,पर पूछो जरा उनसे जिनके बच्चे तड़पते रह जाते हैं , एक गर्म को तरसते ही रह जाते हैं.....
Nice keep it up👏👏
ReplyDeleteToo good....
ReplyDeleteVery nice jo poor people ke liye sochta hoga usi person ne ye likha hoga.
ReplyDeleteThanks for appreciating me.
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