Monday, November 26, 2018

वो गरीब लोग..

वो गरीब बच्चे......

देश की हालत पर रोना भी आता है,
सोच भी आती है, समझना भी आता है। 
लिखने वाले बहुत होंगे मगर, 
अपने देश के बारे में समझना बहुत कम को आता है।
गरीबी है बदहाली है, निराशा ही निराशा है,
पर अपने देश की स्थिति को समझना किसे आता है।
भूखे पेट तड़पते हैं ,छोटे से बच्चे भी मरते हैं,
सोच कहाँ किसी की यहाँ, सबको पेट भर खाना ही आता है।
उम्र तो छोटी है ,अभी तो बच्ची हूँ ,
लिखने में कच्ची नहीं , क्योकि अपने देश को समझना तो आता है।
मन में निराशा है ,थोड़ी सी आशा है, ठहरने को मंजिल है, चलना भी आता है।
ठंडी भी पड़ती है , गर्मी भी पड़ती है, 
हम भी खुश होते हैं, तुम भी खुश होते हो ,पर पूछो जरा उनसे जिनके बच्चे तड़पते रह जाते हैं , एक गर्म को तरसते ही रह जाते हैं.....

Sunday, November 25, 2018

मेरी कविता

मेरी आशाऐं....

साहसी हुँ इसलिऐ कवितायें ले आयी हूँ......

फूलों के बगीचो से कलियॉ उठा के लाई हूँ,
अपने अन्दर से कुछ पंक़्तिया उठा के लाई हूँ....
कहने को तो कठिन था, मेरा कुछ भी कर पाना,
पर अपने मुश्क़िलों मे डट के कुछ खुशियॉ उठा के लाई हूँ....
उम्र मे कच्ची हुँ , अभी छोटी ही बच्ची हुँ,
अपने जीवन के अंन्धेरे मे , कुछ रौशनी चुरा लाई हूँ.....
मन भी उदास है , होश ना हवास है,
आसओ की उडती पछी को, इतने पास तक लाई हूँ.....
सुन ऐ जमाना फिर ना ठुकराना ,हिम्मत इक़ट्ठा कर आसायें ले आयी हुँ....
उठ उठ कर गिरी हुँ, गिर गिर कर उठी हूँ, साहसी हुँ इसलिऐ कवितायें ले आयी हूँ.....
समझना तो बहुत है ,समय ही कहॉ है,
दबी ना रह जायें मेरी कवितायें ,ये आशा ले अयी हूँ.....
कुछ तो अलग हूँ, बातो मे सजग हुँ,
आशावादी हुँ , इसलिऐ कवितायें ले अयी हूँ....
फिर से लिखुँगी साथ मिल गया तो,मन को एक ऊँचा विक़ास मिल गया तो
रौशन हो मेरे देश का नाम, यही आस ले आयी हूँ.....


  








कोरोना को हराना है  मुश्किलों में है ये भारत पर लड़ने की छमता रखो, कोरोना तुमसे बड़ा नहीं है ये विस्वास सदा रखो अपनी असली हिम्मत पहचानो, ...