अक्सर हँसते हैंं लोग ऊँचे विचारोंं पर,
आसाओं के पछी पर, ऊँचे मन्जिल के राही पर,
इच्छा दब जाती है, लोगों के सुनाने पर,
क्यूँ हम जीते हैं इस दुनिया के बहकावे पर,
क्यूँ नहीं खरा उतर पाते माता-पिता की उम्मीदों पर।
आसाओं के पछी पर, ऊँचे मन्जिल के राही पर,
इच्छा दब जाती है, लोगों के सुनाने पर,
क्यूँ हम जीते हैं इस दुनिया के बहकावे पर,
क्यूँ नहीं खरा उतर पाते माता-पिता की उम्मीदों पर।
PLEASE appreciate me.
ReplyDeleteGood.
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